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आज ढ़लती दोपहर में, फिर भोर होना चाहती हूँ, मन के

आज ढ़लती दोपहर में,
फिर भोर होना चाहती हूँ,
मन के गुमसुम से पहर में,वो
अनसुना शोर सुनना चाहती हूँ । आज ढ़लती दोपहर में,
फिर भोर होना चाहती हूँ,
मन के गुमसुम से पहर में,वो
अनसुना शोर सुनना चाहती हूँ ।
आज सारे मोह तज कर,
खुद की चितचोर होना चाहती हूँ,
दूसरों को देने से पहले,
खुद के लिए बरसना चाहती हूँ ।
आज ढ़लती दोपहर में,
फिर भोर होना चाहती हूँ,
मन के गुमसुम से पहर में,वो
अनसुना शोर सुनना चाहती हूँ । आज ढ़लती दोपहर में,
फिर भोर होना चाहती हूँ,
मन के गुमसुम से पहर में,वो
अनसुना शोर सुनना चाहती हूँ ।
आज सारे मोह तज कर,
खुद की चितचोर होना चाहती हूँ,
दूसरों को देने से पहले,
खुद के लिए बरसना चाहती हूँ ।

आज ढ़लती दोपहर में, फिर भोर होना चाहती हूँ, मन के गुमसुम से पहर में,वो अनसुना शोर सुनना चाहती हूँ । आज सारे मोह तज कर, खुद की चितचोर होना चाहती हूँ, दूसरों को देने से पहले, खुद के लिए बरसना चाहती हूँ । #Woman #Hindi #Self #yqbaba #yqdidi #yopowrimo