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कीर्ति स्पेशल गीत :- तुझ पे ही मैं जीवन वारूँ , आ

कीर्ति स्पेशल गीत :-

तुझ पे ही मैं जीवन वारूँ , आजा तेरी नज़र उतारूँ ।।
सोंच रहा हूँ बैठा बेटी , कैसे तेरा भाग्य सँवारू ।।
तुझपे ही मैं जीवन वारूँ ...

वेद पुराण सभी तुम जानों , कौन है राम उन्हें पहचानो ।
गीता रामायण की बाते , पढकर उनको तब सच मानों ।।
अच्छे सब संस्कार दिलाऊ , तुझको सब अधिकार बताऊँ ।
तेरी प्यारी-प्यारी सूरत , सुबह शाम मैं नित्य निहारूँ ।
तुझपे ही मैं जीवन वारूँ ....

तेरे खातिर तो मैं बेटी , इस दुनिया से भी लड़ जाऊँ ।
बन जाना तू रानी लक्ष्मी ,  आ तुझको तलवार सिखाऊँ ।।
अपनी रक्षा स्वयं करो तुम , इतनी विद्या तुम्हें दिलाऊँ ।
अपनी खातिर जितने कह दे , उतने आज रूप मैं धारूँ ।।
तुझपे ही मैं जीवन वारूँ ....

पढ़कर लिखकर पापा देखो , मैं तो सारे नियम निभाऊँ ।
बनूँ डाँक्टर य अब मैं नेता , सबको तेरी बात बताऊँ ।।
पढ़ ले बेटी जितना पढ़ना , तेरी खातिर तो बिक जाऊँ ।
जब तक तू कुछ नही बनेगी , देख नहीं मैं स्वर्ग सिधारूँ ।
तुझपे ही मैं जीवन वारू...

तेरे बिन तो जीवन मेरा , जैसे जग सूना बिन पानी ।
तू मेरे जीवन में आकर , कर दी है ये अमर कहानी ।।
क्षण-क्षण तुझको बढ़ता देखूँ  , मन ही मन मैं फिर हर्षाऊँ ।
अन्त समय में दूल्हा लाकर , उससे तेरा ब्याह रचाऊँ ।।
तुझपे ही मैं जीवन वारूँ....

तुझपे ही मैं जीवन वारूँ , आजा तेरी नज़र उतारूँ ।
सोच रहा  हूँ बैठा बेटी , कैसे तेरा भाग्य सँवारू ।।

२२/०६/२०२३   -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कीर्ति स्पेशल गीत :-

तुझ पे ही मैं जीवन वारूँ , आजा तेरी नज़र उतारूँ ।।
सोंच रहा हूँ बैठा बेटी , कैसे तेरा भाग्य सँवारू ।।
तुझपे ही मैं जीवन वारूँ ...

वेद पुराण सभी तुम जानों , कौन है राम उन्हें पहचानो ।
गीता रामायण की बाते , पढकर उनको तब सच मानों ।।
कीर्ति स्पेशल गीत :-

तुझ पे ही मैं जीवन वारूँ , आजा तेरी नज़र उतारूँ ।।
सोंच रहा हूँ बैठा बेटी , कैसे तेरा भाग्य सँवारू ।।
तुझपे ही मैं जीवन वारूँ ...

वेद पुराण सभी तुम जानों , कौन है राम उन्हें पहचानो ।
गीता रामायण की बाते , पढकर उनको तब सच मानों ।।
अच्छे सब संस्कार दिलाऊ , तुझको सब अधिकार बताऊँ ।
तेरी प्यारी-प्यारी सूरत , सुबह शाम मैं नित्य निहारूँ ।
तुझपे ही मैं जीवन वारूँ ....

तेरे खातिर तो मैं बेटी , इस दुनिया से भी लड़ जाऊँ ।
बन जाना तू रानी लक्ष्मी ,  आ तुझको तलवार सिखाऊँ ।।
अपनी रक्षा स्वयं करो तुम , इतनी विद्या तुम्हें दिलाऊँ ।
अपनी खातिर जितने कह दे , उतने आज रूप मैं धारूँ ।।
तुझपे ही मैं जीवन वारूँ ....

पढ़कर लिखकर पापा देखो , मैं तो सारे नियम निभाऊँ ।
बनूँ डाँक्टर य अब मैं नेता , सबको तेरी बात बताऊँ ।।
पढ़ ले बेटी जितना पढ़ना , तेरी खातिर तो बिक जाऊँ ।
जब तक तू कुछ नही बनेगी , देख नहीं मैं स्वर्ग सिधारूँ ।
तुझपे ही मैं जीवन वारू...

तेरे बिन तो जीवन मेरा , जैसे जग सूना बिन पानी ।
तू मेरे जीवन में आकर , कर दी है ये अमर कहानी ।।
क्षण-क्षण तुझको बढ़ता देखूँ  , मन ही मन मैं फिर हर्षाऊँ ।
अन्त समय में दूल्हा लाकर , उससे तेरा ब्याह रचाऊँ ।।
तुझपे ही मैं जीवन वारूँ....

तुझपे ही मैं जीवन वारूँ , आजा तेरी नज़र उतारूँ ।
सोच रहा  हूँ बैठा बेटी , कैसे तेरा भाग्य सँवारू ।।

२२/०६/२०२३   -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कीर्ति स्पेशल गीत :-

तुझ पे ही मैं जीवन वारूँ , आजा तेरी नज़र उतारूँ ।।
सोंच रहा हूँ बैठा बेटी , कैसे तेरा भाग्य सँवारू ।।
तुझपे ही मैं जीवन वारूँ ...

वेद पुराण सभी तुम जानों , कौन है राम उन्हें पहचानो ।
गीता रामायण की बाते , पढकर उनको तब सच मानों ।।

कीर्ति स्पेशल गीत :- तुझ पे ही मैं जीवन वारूँ , आजा तेरी नज़र उतारूँ ।। सोंच रहा हूँ बैठा बेटी , कैसे तेरा भाग्य सँवारू ।। तुझपे ही मैं जीवन वारूँ ... वेद पुराण सभी तुम जानों , कौन है राम उन्हें पहचानो । गीता रामायण की बाते , पढकर उनको तब सच मानों ।। #कविता