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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ही 11वीं शत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ही 11वीं शताब्दी में सुदूर दक्षिण में जन्मे शंकर रामा अनुज चारे की विशाल प्रतिमा का अनावरण किया हैदराबाद में बनी है 216 फीट की प्रतिमा श्रद्धालु के अंतर्मन में रामानुजाचार्य के सम्राट एक पर्यटक का काम करेगी राम अर्जुन जाने के बाद उस आवेदन का साथ दिया है इसका मूल अलवर साथ भक्त कवियों की भक्ति संवेदन में है अलवर ओके द्रविड़ भाषा पदों का संकलन द्रव्य प्रबंधन इसका उद्गम है वैष्णव की इस उदाहरण से परंपरा की संस्कृति के निर्माता हमारे भारतीय राजनीति के महासागर में ऐसे हैं जो राजनीति के महत्व को समझते हैं उनके बिना भारत के इतिहास की चर्चा नहीं की जा सकती उनका जिसका आधार समानता है रामायण में तमिलनाडु के श्री में हुआ था संस्कृत में तमिल परंपरा के मिलन बिंदु है उन्होंने समाज में ऊंची नीची और झोपड़ी महल के बीच समानता के सेतु बना 18 और धार्मिक कार्य को लोगों के लिए सरल और सहज बनाया ऐसा करते हुए वे अपने पूरे जीवन काल में तीनों मंचों पर युद्ध कर रहे अपनी परंपरा और सामूहिक समस्या में सेतु बनाना पहला मोर्चा ब्रह्मसूत्र पर श्री भाषा लिखते हुए वक्ता वेदांत को जीवन की जटिलताओं दूसरे भक्तों को आम लोगों के ईश्वर प्रतीत का तरीका बनाकर तीसरा मोर्चा है इस तरह उन्होंने अपने जीवन युद्ध का दिखाई देते हैं जिसका संकेत रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी पुस्तक संस्कृत के चार अध्याय में किया है वे लिखते हैं कि सामाजिक संबंधों की दिशा में तत्कालीन ब्राह्मण जहां तक जा सकता है आचार्य रामानुज वहां तक जा रुक के उनके संप्रदाय ने लाखों सुरुज देव रतन जी को अपने मार्ग में ले लिया उन्होंने वैष्णव विश्वास से युक्त किया

©Ek villain #समर सत्ता पूर्ण सद्भाव के प्रतीक

#proposeday
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ही 11वीं शताब्दी में सुदूर दक्षिण में जन्मे शंकर रामा अनुज चारे की विशाल प्रतिमा का अनावरण किया हैदराबाद में बनी है 216 फीट की प्रतिमा श्रद्धालु के अंतर्मन में रामानुजाचार्य के सम्राट एक पर्यटक का काम करेगी राम अर्जुन जाने के बाद उस आवेदन का साथ दिया है इसका मूल अलवर साथ भक्त कवियों की भक्ति संवेदन में है अलवर ओके द्रविड़ भाषा पदों का संकलन द्रव्य प्रबंधन इसका उद्गम है वैष्णव की इस उदाहरण से परंपरा की संस्कृति के निर्माता हमारे भारतीय राजनीति के महासागर में ऐसे हैं जो राजनीति के महत्व को समझते हैं उनके बिना भारत के इतिहास की चर्चा नहीं की जा सकती उनका जिसका आधार समानता है रामायण में तमिलनाडु के श्री में हुआ था संस्कृत में तमिल परंपरा के मिलन बिंदु है उन्होंने समाज में ऊंची नीची और झोपड़ी महल के बीच समानता के सेतु बना 18 और धार्मिक कार्य को लोगों के लिए सरल और सहज बनाया ऐसा करते हुए वे अपने पूरे जीवन काल में तीनों मंचों पर युद्ध कर रहे अपनी परंपरा और सामूहिक समस्या में सेतु बनाना पहला मोर्चा ब्रह्मसूत्र पर श्री भाषा लिखते हुए वक्ता वेदांत को जीवन की जटिलताओं दूसरे भक्तों को आम लोगों के ईश्वर प्रतीत का तरीका बनाकर तीसरा मोर्चा है इस तरह उन्होंने अपने जीवन युद्ध का दिखाई देते हैं जिसका संकेत रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी पुस्तक संस्कृत के चार अध्याय में किया है वे लिखते हैं कि सामाजिक संबंधों की दिशा में तत्कालीन ब्राह्मण जहां तक जा सकता है आचार्य रामानुज वहां तक जा रुक के उनके संप्रदाय ने लाखों सुरुज देव रतन जी को अपने मार्ग में ले लिया उन्होंने वैष्णव विश्वास से युक्त किया

©Ek villain #समर सत्ता पूर्ण सद्भाव के प्रतीक

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Ek villain

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