मुस्कुराहटें बदनाम हैं दर्द की महफ़िल में मुस्कुराहटें गुमनाम हैं बिलखते हुए दिल में कहीं मुस्कुराहटों ने हँसाया हैं कभी रुलाया भी उन्होंने ना जाने हुई हैं कैसी-कैसी मुस्कुराहटें हासिल हमें मुस्कुराहटें एक राज़ है जिनका सच किसी को मालूम नहीं वह आ जाती लबों पर सुख-दुख के हर हालात में पर बहला के रखले कोई हमेशा संग उन्हें वो इतनी भी मासूम नहीं #मुस्कुराहटें