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रचना दिनांक 1,,,9,,,,2023 वार शुक्रवार समय ्शाम छह

रचना दिनांक
1,,,9,,,,2023
वार शुक्रवार
समय ्शाम छह बजे
्््शीर्षक ्््
्््हंसती मुस्कुराती नाचती,,
जिंदगी की पहलियों््््
्््
कहने वाले समझते है मन की सुन्दरता
और तन की खुबसूरती जब सवाल पर सवाल
 महज अपने लिए हंसती मुस्कुराती जिंदगी 
 दो धारी तलवार बन गई है जिन्दगी ।।
जिन्हें नाज़ है अपने आप से वो प्रेम
का नाम की पहेलियां बन गई।।
जिन्हें हमने इतने करीब से परखा 
वो लफ्जो की छटाओं से ,,
खुद से ही सूरो की शहनाईयां बज उठी।।
वो हंसती मुस्कुराती नाचती खेलती अंगड़ाइयां,,

जो कभी सपनो में प्यार करने की कशीश में अश्क भर कर देख रही थी वो लफ्जो की खुशियां।।
्््््
््कवि शैलेंद्र आनंद
1,,,..सितम्बर,,,2023





 है जिन्दगी।।

©Shailendra Anand
  #lily