किस्सा - भक्त पूर्णमल रागनी - 10 तर्ज - फूल तुम्हे भेजा है खत में ओम नाम का जाप करे जा, शुध्द हो ज्यागी काया। अंग प्रत्यंग हो स्वस्थ लाभ और दिन प्रतिदिन माया।। ओम नाम का जाप करे जा...... दो बे दिन में शाम सवेरी, मल मल के अस्नान करो। सच्चे मन से अर्पित हो के, उस ईश्वर का ध्यान करो। पहचान करो उस लीलाधर की, जिसने यो जगत रचाया।। ओम नाम का जाप करे जा...... धूर्त लोभी लम्पट कपटी, काम क्रोधित नारी। सबते बड्डी एक बीमारी, ठग्गी, चोरी, जारी। नारी तै हो देव रूप भाई, फेर क्यूँ फिरे भकाया।। ओम नाम का जाप करे जा...... मुँह में राम बगल में चाकू, नहीं निशानी सज्जनों की। कड़वी बाणी, जुबाँ पे गाळी, फेर के जरूरत भजनों की। गुरूजनों की जो कद्र ना करता, उने फेर के गाणा गाया।। ओम नाम का जाप करे जा...... प्यार बड़ा बलवान जगत में, प्यार ही सबका है आधार। प्यार का भूखा आनन्द डोले, हर नगरी, हर घर और द्वार।। प्यार जिवा दे उस पाथर ने, जो हाल्ले, हिले ना हिलाया।। ओम नाम का जाप करे जा...... गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया © 2020-21 #हरयाणवी_रागनी #meltingdown