सुनी सुनी गलियां है सूने सभी मकान है मेरे गाँव गुलजार आज, शहर तेरे सुनसान है बहुत गर्व था तुझको जिस पर वह चौराहे विरान है दौड़ रहा था रोज अपना नाम कमाने को पताचला है आज मगर किससे किसकी पहचान है #लॉकडाउन