रेगिस्तानमे भटकता है मुसाफिर दो बुंद पानी के लिए,पानी वहाँ भी पैदा करता है खुदा सब्र और मेहनत करनेवालो के लिए|पेड का पत्ता भी न हिले जबतक खुदा न कहे हिलने के लिए,मै तो हुँ उसकी सबसे प्यारी चीज इन्सान सब्र तो करुँ रात के गुजर जाने का कल सुबहा की रोशनीमे जरुर खुशी रखी है खुदा ने मेरे लिए| सब्र का फल