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आज एक अनजाना सा खौफ है डर का साया फैला है हर गली ह

आज एक अनजाना सा खौफ है
डर का साया फैला है
हर गली हर मुहल्ले
सन्नाटे की चादर ओढ़े
मौत पैर पसार रहा।
एक परछाई सी दिखती है
जैसे कोई दूर जा रहा मुझसे
बहुत कोशिश की पकड़ने की
कुछ छूटता सा जा रहा।
जाने क्या टूट रहा मुझ में
जाने किस बात का डर सता रहा।
अब ये चीख चित्कार ना सहा जा रहा।
अब ये उदास मोहल्ला न भा रहा।
हे प्रभु बस दया करो 
और उबारो हमको।
मौत का ये मंजर मुझे बहुत रुला रहा। #darka saaya
आज एक अनजाना सा खौफ है
डर का साया फैला है
हर गली हर मुहल्ले
सन्नाटे की चादर ओढ़े
मौत पैर पसार रहा।
एक परछाई सी दिखती है
जैसे कोई दूर जा रहा मुझसे
बहुत कोशिश की पकड़ने की
कुछ छूटता सा जा रहा।
जाने क्या टूट रहा मुझ में
जाने किस बात का डर सता रहा।
अब ये चीख चित्कार ना सहा जा रहा।
अब ये उदास मोहल्ला न भा रहा।
हे प्रभु बस दया करो 
और उबारो हमको।
मौत का ये मंजर मुझे बहुत रुला रहा। #darka saaya