Nojoto: Largest Storytelling Platform

वो जो सपनो में आती थी कल धम्म से सामने आ गयी, ये ध

वो जो सपनो में आती थी कल धम्म से सामने आ गयी,
ये धोखा भी आजकल, चिकौटी काटने लगा है।
दर्द तो है  पर कुछ मज़ा देने लगा है,
क्या सुख अपनी परिभाषा बदलने लगा है।

कितने लोग इकट्ठे हो गये अन्तिम यात्रा में उसकी,
वो जो सालों से बिस्तर पर अकेला पड़ा था जब
सुना की वो चलने लगा है।
मौत खूबसूरत है और ज़िन्दगी क्रूर सी लगने लगी है,
फना होने के इतने विकल्प,  कि इख्तियार भटकने लगा है।
मैं कैसा चिराग हूं, रौशनी जलती है मुझसे,
ये अन्धेरा है जो मुझे देखकर जगमगाने लगा है।
ज़ख्म रिस्ते रहे याद ताजा रही,
जख्म सूखने क्या लगा दिल भरने  लगा है। #fursatgkp
वो जो सपनो में आती थी कल धम्म से सामने आ गयी,
ये धोखा भी आजकल, चिकौटी काटने लगा है।
दर्द तो है  पर कुछ मज़ा देने लगा है,
क्या सुख अपनी परिभाषा बदलने लगा है।

कितने लोग इकट्ठे हो गये अन्तिम यात्रा में उसकी,
वो जो सालों से बिस्तर पर अकेला पड़ा था जब
सुना की वो चलने लगा है।
मौत खूबसूरत है और ज़िन्दगी क्रूर सी लगने लगी है,
फना होने के इतने विकल्प,  कि इख्तियार भटकने लगा है।
मैं कैसा चिराग हूं, रौशनी जलती है मुझसे,
ये अन्धेरा है जो मुझे देखकर जगमगाने लगा है।
ज़ख्म रिस्ते रहे याद ताजा रही,
जख्म सूखने क्या लगा दिल भरने  लगा है। #fursatgkp