मेरे रस्ते अब मंजिल तक नही जाते,जो सफर में जाते है वो कहीं नही जाते.. रोज शाम ढलते अपने कोटर में आ जाते है,पंछी अपने घोसले छोड़कर नही जाते.. इक रोज मेरी महफिल में शिरकत तो कर,मेरी बज़्म से निकलकर लोग मयखाने नही जाते.. न जाने क्या राबता है उस शख्स से,जिससे ताल्लुक रूठ तो जाते है टूट नही जाते.. क्या सीखना उनसे उल्फत की रस्मो को,जो कदम घर के लिये निकलते है घर नही जाते.. लगता है इस जिंदगी की किश्त बहुत लम्बी है अभिषेक, हम मरते तो रोज है मर नही जाते✒ #interestofpain