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थक गयी हूँ दौड़ कर अब, लौटना अपनी ओर चाहती हूँ , व

थक गयी हूँ दौड़ कर अब,
लौटना अपनी ओर चाहती हूँ ,
विसर्जित कर सारी विकृतियाँ,
फिर भाव-विभोर होना चाहती हूँ।
                                 आज सारे मोह तज कर,
                                 खुद की चितचोर होना चाहती हूँ,
                                 दूसरों को देने से पहले,
                                 खुद के लिए बरसना चाहती हूँ ।
निजमन से जुड़ने के लिए,
एक मजबूत डोर चाहती हूँ,
संबंधों की गाँठें घुला कर,
पुलकित पोर होना चाहती हूँ। 
थक गयी हूँ दौड़ कर अब,
लौटना अपनी ओर चाहती हूँ ,
विसर्जित कर सारी विकृतियाँ,
फिर भाव-विभोर होना चाहती हूँ।
आज सारे मोह तज कर,
खुद की चितचोर होना चाहती हूँ,
दूसरों को देने से पहले,
थक गयी हूँ दौड़ कर अब,
लौटना अपनी ओर चाहती हूँ ,
विसर्जित कर सारी विकृतियाँ,
फिर भाव-विभोर होना चाहती हूँ।
                                 आज सारे मोह तज कर,
                                 खुद की चितचोर होना चाहती हूँ,
                                 दूसरों को देने से पहले,
                                 खुद के लिए बरसना चाहती हूँ ।
निजमन से जुड़ने के लिए,
एक मजबूत डोर चाहती हूँ,
संबंधों की गाँठें घुला कर,
पुलकित पोर होना चाहती हूँ। 
थक गयी हूँ दौड़ कर अब,
लौटना अपनी ओर चाहती हूँ ,
विसर्जित कर सारी विकृतियाँ,
फिर भाव-विभोर होना चाहती हूँ।
आज सारे मोह तज कर,
खुद की चितचोर होना चाहती हूँ,
दूसरों को देने से पहले,

थक गयी हूँ दौड़ कर अब, लौटना अपनी ओर चाहती हूँ , विसर्जित कर सारी विकृतियाँ, फिर भाव-विभोर होना चाहती हूँ। आज सारे मोह तज कर, खुद की चितचोर होना चाहती हूँ, दूसरों को देने से पहले, #Woman #yqdidi #wishes