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।। संशय  ।। संशय क्यों है मनुज तुझे अपने को क्य

।। संशय  ।। 

संशय क्यों है मनुज तुझे 
अपने को क्यों दुविधा में डाला 
क्यों छोड़ चेतना को अपनी 
ले हाथ फिरे भय की माला।। 

इश्वर ने तुझको दी सिद्धि सब 
प्रकृति ने रख उन्नत  है पाला 
खुद की क्ष्मता पर क्यों प्रश्नचिन्ह 
इस अमृत क्यों मिश्रित हाला।। 

रख विश्वास आस की गठरी अब 
क्यों अविश्वास का ये बादल काला 
हों उम्मीद सूर्य और श्रम किरणें 
तब तब ये संशय मन ने  है टाला ।। 

तुम मेधावी हो लाख मगर, 
संशय मति को हर लेता है,
ये जीवन रथ पर आ बैठा,
तो जीने की गति हर लेता है,
ये बीज़ अंकुरित मत होने दो, 
विष इसका अतिघातक है 
तिल तिल कर इस निज मन से,
विश्वास कहीं टर लेता है ।। 

@dineshkpaliwal #संशय #मनुज
।। संशय  ।। 

संशय क्यों है मनुज तुझे 
अपने को क्यों दुविधा में डाला 
क्यों छोड़ चेतना को अपनी 
ले हाथ फिरे भय की माला।। 

इश्वर ने तुझको दी सिद्धि सब 
प्रकृति ने रख उन्नत  है पाला 
खुद की क्ष्मता पर क्यों प्रश्नचिन्ह 
इस अमृत क्यों मिश्रित हाला।। 

रख विश्वास आस की गठरी अब 
क्यों अविश्वास का ये बादल काला 
हों उम्मीद सूर्य और श्रम किरणें 
तब तब ये संशय मन ने  है टाला ।। 

तुम मेधावी हो लाख मगर, 
संशय मति को हर लेता है,
ये जीवन रथ पर आ बैठा,
तो जीने की गति हर लेता है,
ये बीज़ अंकुरित मत होने दो, 
विष इसका अतिघातक है 
तिल तिल कर इस निज मन से,
विश्वास कहीं टर लेता है ।। 

@dineshkpaliwal #संशय #मनुज