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मत भटक ए बंध्या ज़माना जालिम थोड़ा हंसने से चरित क

मत भटक ए बंध्या ज़माना जालिम
थोड़ा हंसने से चरित को कह दे कालिम
पराए छोड़ तुझे अपने भी देगे दुखत
फ़िर शांत भाव में खुद को समझेगे भुगत
ज्ञानी पुरुष खुद को समझता 
खुद के पैरों की लपटे को औरो के लगा देते
अपने दामन के छीटे साबुन से धो लेते

©PREM JANGIR #पथ_भूला_परदेशी 


#PARENTS
मत भटक ए बंध्या ज़माना जालिम
थोड़ा हंसने से चरित को कह दे कालिम
पराए छोड़ तुझे अपने भी देगे दुखत
फ़िर शांत भाव में खुद को समझेगे भुगत
ज्ञानी पुरुष खुद को समझता 
खुद के पैरों की लपटे को औरो के लगा देते
अपने दामन के छीटे साबुन से धो लेते

©PREM JANGIR #पथ_भूला_परदेशी 


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