दिवस का अवसान बाक़ी, समय का तूफ़ान बाक़ी, ज़िन्दगी तुम बिन अधूरी, दोस्त का अहसान बाक़ी, आंधियों में बह गया सब, बच गया ईमान बाक़ी, ख़ुशी मिलती ईद जैसे, ग़म का इम्तहान बाक़ी, उम्र की दहलीज़ खिसकी, ज़िस्म में है जान बाक़ी, जायेगा दुनिया से खाली, ख़ुदा का फ़रमान बाक़ी, हृदय में आनन्द भर ले, 'गुंजन' यही सामान बाक़ी, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #दिवस का अवसान बाक़ी#