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कहीं इश्क़, कहीं दर्द तो कहीं सबकुछ इत्तेफ़ाक है, ग़ौ

कहीं इश्क़, कहीं दर्द तो कहीं सबकुछ इत्तेफ़ाक है,
ग़ौर से देखा जाए गर, तो सबका अंत बस ख़ाक है,

गलतफहमी पाले बैठें हैं, फूलों के शौक रखने वाले,
इन्हें क्या इल्म, पतझड़ कितने ज़्यादा खौफ़नाक हैं,

ये जो दोस्त बनाएं हैं क़रीबी तुमने हज़ारों, मतलबी,
ये ही सिखाएंगे, टूटना भरोसे का कितना दर्दनाक है,

इतना भी चुप ना रह, की कोई सिर पे चढ़ जाए तेरे,
गर ऐसा है तो,समझ ले, मुर्दे तुझसे ज़्यादा बेबाक हैं

                                                            -श्री


















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©Shree Sharma #wallpaper
कहीं इश्क़, कहीं दर्द तो कहीं सबकुछ इत्तेफ़ाक है,
ग़ौर से देखा जाए गर, तो सबका अंत बस ख़ाक है,

गलतफहमी पाले बैठें हैं, फूलों के शौक रखने वाले,
इन्हें क्या इल्म, पतझड़ कितने ज़्यादा खौफ़नाक हैं,

ये जो दोस्त बनाएं हैं क़रीबी तुमने हज़ारों, मतलबी,
ये ही सिखाएंगे, टूटना भरोसे का कितना दर्दनाक है,

इतना भी चुप ना रह, की कोई सिर पे चढ़ जाए तेरे,
गर ऐसा है तो,समझ ले, मुर्दे तुझसे ज़्यादा बेबाक हैं

                                                            -श्री


















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