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नेकदिल ______ किसी की नज़रों का नज़ारा है वो  परि

 नेकदिल
 ______

किसी की नज़रों का नज़ारा है वो 
परिवार के कल का सहारा है वो

अरमानों की उम्मीद और शाम का किनारा है वो 
बचपन से ही ज़िम्मेदारियों का मारा है वो

जब कभी ख़ामोश रह कर दर्द जताता है वो 
अक़्सर इस दुनिया को बेबस और लाचार नज़र आता है वो

बीते कल का आज और आनेवाले कल का समाज है वो 
दुख से गुज़र कर सुख से आगे निकलता हुआ एक जांबाज़ है वो

फ़ासले रख कर देखो तो एक राज़ है वो 
उसकी सोहबत में आकर देखो तो ख़ुशियों का आग़ाज़ है वो

मनीष राज

©Manish Raaj
  #नेकदिल