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कुछ तेरे संकोची स्वभाव को देखकर कुछ सितमगर दुनिया

कुछ तेरे संकोची स्वभाव को देखकर
 कुछ सितमगर दुनिया की नजरों को देखकर
 तुझसे नज़रों से नज़रें मिलाकर
 खुलकर मिले लंबा समय चाहे बीत गया हो
 मगर खुदा कसम ,सच कहते हैं सनम 
एक भी दिन, एक भी रात ऐसी नहीं गई होगी
 जब हमने तुम्हें याद न किया हो
 तुम्हारी यादें ही तो हमे शायर बनाती हैं
 हमें  लिखने को प्रेरित करती है
 जो कुछ तुमसे कहना था
 शायराना अंदाज में लिखते रहे 
शब्दों में सुकून पाते रहे
पाठकों को भी रोमांच देते रहे
 मोहब्बत पर हमारी हमको भरोसा था पूरा 
उल्फ़त में हम फिर मिलेंगे एक दिन 
एतवार था हमको पूरा 
सच्चे दिल से मोहब्बत की हो 
और वो ना मिले ऐसा हो नहीं सकता
 फिर मिले हम ऐसे लगा जैसे 
गुल दिल के खिले हो।

©Azaad Pooran Singh Rajawat
  #lunar #फिर मिले जैसे गुल दिल के खिले#

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