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आज भारतीय राजनीति का मूल स्वर बन गई है हालांकि अस्

आज भारतीय राजनीति का मूल स्वर बन गई है हालांकि अस्मिता भाव मानवीय समाज का मूल भावना हरा मानवीय मूल्य भाव तो प्रेम दया से है सुरता अधिक हिंदू अस्मिता का भाव जो हमें भारी प्रभाव से विकसित होता है आज एक प्रकार का मूल भाव बदल रहा है आशिता भाव और सुरक्षित बहुत बनता और संघर्ष पर टिका हुआ है आज चाहे दुनिया का कोई भी विकसित विकासशील व्यवस्था विकसित देश में किसी न किसी प्रकार अस्मिता बोध से उपजी टकराव से गुजर रहा है जनहित और राजनीति का संबंध भाव को बढ़ते ही चुनावी अस्मिता की और राजनीतिक गोलबंदी अर्थशास्त्र बदल देते यहां से बताएं चाहे जाति से जुड़ी हो या मजहब से क्षेत्रीय से हो या चुनावी वक्त मुग्ध होकर उभर आती दो राज्य उत्तराखंड और गोवा में विधानसभा चुनाव निपट गए हैं उत्तर पंजाब और मणिपुर के परिचय दिया जा रही है चुनाव प्रचार जन्म गोलबंदी और हितकारी पर आगे नजर डाले तो साफ दिखाई पड़ता है किस प्रकार अस्मिता भाव से चुनाव में जकड़ रखा है चुनाव मिट्टी का विवरण के लिए अस्मिता को आधार बनाकर विभिन्न सामाजिक समूह के जुड़ने की प्रवृत्ति दिखाई पड़ती है इसके साथ ही चुनाव विमर्श के माध्यम से हवा देने की प्रक्रिया भी चलती रही है यही चुनाव बाद में विभिन्न अस्मिता ओं को मंत्रिपरिषद में जगह बनाकर संतुष्टि भी किया जाता है

©Ek villain #अस्मिता की राजनीति का चुनावी असर
#selflove
आज भारतीय राजनीति का मूल स्वर बन गई है हालांकि अस्मिता भाव मानवीय समाज का मूल भावना हरा मानवीय मूल्य भाव तो प्रेम दया से है सुरता अधिक हिंदू अस्मिता का भाव जो हमें भारी प्रभाव से विकसित होता है आज एक प्रकार का मूल भाव बदल रहा है आशिता भाव और सुरक्षित बहुत बनता और संघर्ष पर टिका हुआ है आज चाहे दुनिया का कोई भी विकसित विकासशील व्यवस्था विकसित देश में किसी न किसी प्रकार अस्मिता बोध से उपजी टकराव से गुजर रहा है जनहित और राजनीति का संबंध भाव को बढ़ते ही चुनावी अस्मिता की और राजनीतिक गोलबंदी अर्थशास्त्र बदल देते यहां से बताएं चाहे जाति से जुड़ी हो या मजहब से क्षेत्रीय से हो या चुनावी वक्त मुग्ध होकर उभर आती दो राज्य उत्तराखंड और गोवा में विधानसभा चुनाव निपट गए हैं उत्तर पंजाब और मणिपुर के परिचय दिया जा रही है चुनाव प्रचार जन्म गोलबंदी और हितकारी पर आगे नजर डाले तो साफ दिखाई पड़ता है किस प्रकार अस्मिता भाव से चुनाव में जकड़ रखा है चुनाव मिट्टी का विवरण के लिए अस्मिता को आधार बनाकर विभिन्न सामाजिक समूह के जुड़ने की प्रवृत्ति दिखाई पड़ती है इसके साथ ही चुनाव विमर्श के माध्यम से हवा देने की प्रक्रिया भी चलती रही है यही चुनाव बाद में विभिन्न अस्मिता ओं को मंत्रिपरिषद में जगह बनाकर संतुष्टि भी किया जाता है

©Ek villain #अस्मिता की राजनीति का चुनावी असर
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Ek villain

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