मोमबत्ती सी यादें तुम्हारी अक्सर आती-जाती हैं, कभी ख़ुशी, कभी ग़म सी मुझमें बसती जाती हैं। दिल जल जाता है जब भी जाता उनके नज़दीक, पिघल-पिघल के तन्हा लम्हात में घुलती जाती हैं। तुम्हारे लिए नहीं जिनका मोल मुझे लगे अनमोल, उसकी रौशनी से नई उम्मीदें सी खिलती जाती हैं। बेख़बर भी नहीं है दिल तुम्हारे किसी जज़्बात से, काली परछाई से बचाने के लिए जलती जाती हैं। आज नहीं तो कल समझेंगे वो हाल-ए-दिल 'धुन', आख़िर उन्हीं की ख़ातिर तो हँसती-रोती जाती हैं। Rest Zone 'मोमबत्ती सी यादें' #restzone #rztask128 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #rzwotm #rzwotm_oct #rzsangeeta_oct