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पुराणों से लेकर कलयुग क़े काले अंधेरों तक जी

पुराणों  से  लेकर  कलयुग क़े 
काले  अंधेरों तक  
जीवनचक्र   घूमता रहा   प्रलय   होती रही 
सृष्टि  चलती रही  ज्योति  जलती रही और मजे की बात   ईश्वर हर  युग  मे था 
क्योंकि  ईश्वर  इंसान का  सृजन  था 
अपने  गुनाहो  और  पापो क़े    प्रायश्चित  क़े लिए  ईश्वर  का  सृजन    करना  इंसान क़े लिए  
इसीलिए  जरूरी  भी था इंसानी  जीवन चक्र   और ईश्वर  की  उपादेयता........
पुराणों  से  लेकर  कलयुग क़े 
काले  अंधेरों तक  
जीवनचक्र   घूमता रहा   प्रलय   होती रही 
सृष्टि  चलती रही  ज्योति  जलती रही और मजे की बात   ईश्वर हर  युग  मे था 
क्योंकि  ईश्वर  इंसान का  सृजन  था 
अपने  गुनाहो  और  पापो क़े    प्रायश्चित  क़े लिए  ईश्वर  का  सृजन    करना  इंसान क़े लिए  
इसीलिए  जरूरी  भी था इंसानी  जीवन चक्र   और ईश्वर  की  उपादेयता........
parasramarora4891

Parasram Arora

Bronze Star
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