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आंख खुली जब मन पछतायो ... कुछ भी रहा न शेष । - अद

आंख खुली जब मन पछतायो  ...
कुछ भी रहा न शेष ।
- अदिती अग्रवाल ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_156 

👉 जैसे कन्ता घर रहे, वैसे रहे परदेश लोकोक्ति का अर्थ --- निकम्मा आदमी घर में हो या बाहर कोई अन्तर नहीं। 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी।
आंख खुली जब मन पछतायो  ...
कुछ भी रहा न शेष ।
- अदिती अग्रवाल ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_156 

👉 जैसे कन्ता घर रहे, वैसे रहे परदेश लोकोक्ति का अर्थ --- निकम्मा आदमी घर में हो या बाहर कोई अन्तर नहीं। 

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♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_156 👉 जैसे कन्ता घर रहे, वैसे रहे परदेश लोकोक्ति का अर्थ --- निकम्मा आदमी घर में हो या बाहर कोई अन्तर नहीं। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी। #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़