यत्र, तत्र, सर्वत्र व्याप्त है तू। फिर क्यों तेरी पूजा, इबादत कहीं जा कर ही जरूरी है। जो नेक राह पर चले अच्छे कर्म करे मानवता के लिए। तो तेरी रहमत होगी,तेरी कृपा बरसेगी। खामखा लोग उलझ रहे। यदि धर्म हमारा सच्चा और अच्छा तो क्यों फैलाए नफरत चारो ओर। क्यों ना बनाए सौहार्द वातावरण। क्यों ना रहे अमन चैन से। क्यों सवाल है बहुत, जवाब है सरल। लेकिन करना और निभाना है मुश्किल। #तत्र