फ़कत य कहर भी भुलभुलैया सा लगता है , जिधर नज़र फ़ेरो उधर ही मौत का कहार गूँज रहा है , ज़गह नहीं सदर अस्पताल में सरकार के लिए और हम आम आदमी का क्या वसूल है , हम हारे हमरी मानो सावधान रहो य आतंक से बचाव हमारे बस नहीं है , हम हारे हमारे हाथ कुछ नहीं है प्रलय का दिन-ब-दिन अलग रूप है , जिसे समझना नामुमकिन सा लगता है , ©Payal Pathak #covid_19_k_asraat #covidindia