White हम सब भाग रहे हैं उस उजाले की तरफ, जहां हमें लगता है कि उस उजाले में सुकून का दरिया बहता होगा, जिसमें स्नान करके जीवन के तमाम दुखों से मुक्ति मिल जाएगी। इसलिए हम इंसान अपना सब कुछ त्याग कर भाग रहे हैं, सब कुछ दांव पर लगाकर भाग रहे हैं। किसी भी सूरत में उस उजाले तक जाना है। हालांकि, कुछ यात्री, जो उजाले से सफलतापूर्वक लौट रहे थे, उन्होंने आगाह किया था कि मत जाओ उस उजाले में। वो उजाला बस एक मृगतृष्णा है। वहां और भी अंधेरा है, और भी दुख है। लेकिन हमने उनकी बात नहीं सुनी। हमने अपनी तृष्णा की सुनी और चल पड़े उस तरफ, जिस तरफ हर कोई भाग रहा है—गधा भी, घोड़ा भी। अब देखना है कि कौन उस लौट रहे यात्री की बात मानकर लौटता है और कौन उस उजाले तक जाने की व्यर्थ कोशिश करता है। ©Pyare ji #love_shayari