अक्सर बुजुर्ग,जीके हाँथ में लोई तीको सब कोई,सुनाते थे मगर जब तब देखा तब ,तब कुछ और ही दिखा ये कुछ और कुछ और था जो,समय समय पर बदलता रहा ये कुछ सुहावना नहीं ,डरावना भी नहीं कुछ और ही था ,कुछ अजीब सा. ©पूर्वार्थ #बुजुर्ग