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गुलाब सी हसीन वो उसको क्या गुलाब दूं, वो रुत है बह

गुलाब सी हसीन वो उसको क्या गुलाब दूं,
वो रुत है बहार की ख़ुद में मुकम्मल बाग है।
सोच लूं तो नज़्म है देख लूं जो  ख़्वाब वो...
गुजरे जब नज़रों से तो बढ़ती 
धड़कन की रफ़्तार वो,
सादगी उसकी देखकर बढ़ता जाए प्यारा,
कितना उसको चाहता हूं इसका 
क्या जबाब दूं....
गुलाब सी हसीन वो उसको क्या गुलाब दूं।।
नर्म पंखुड़ियों सी होठ है, 
अंग अंग गुलबदन सा।
सजा दूं केशु में गुलाब... 
पहना दूं कंगन पायल गुलाब की,
गुलाबी गुलाबी उसका नशा और क्या शबाब दूं,
गुलाब सी हसीन वो उसको क्या गुलाब दूं।।

©Navneet
  हसीन गुलाब 
#Rose #Love #feelings #Happy #poem #Poetry #Shayar #Shayari #romance #Nojoto  दुर्लभ "दर्शन" पंडित जी बनारस वाले Ruchika Vidya Jha Mohammad Arif (WordsOfArif)  मañjü pãwãr Amit Saini Madhusudan Shrivastava सानिया Tarani Nayak(disha Indian).