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कहें क्या की अब मिरा हाल कैसा है। आप ही कहो अब

कहें क्या की अब मिरा हाल  कैसा है।
आप  ही कहो अब  ये सवाल कैसा है।

आपकी ही आब -ओ- हवा में हम भी है।
हाल जैसा है आपका हां मेरा भी वैसा है।

इश्क़-ओ-वफ़ा लत सी होती है शायद।
तासिर-ओ-तलब इसका नशा जैसा है।

अब चलन में उसकी ही हुक़ूमत है यारो 
हां वो जिसके जेब में बे - शुमार पैसा है।

देखान कभी उसके निगाहों में उतर के।
फ़िर बतलाना क्या कोई रिंद जय सा है।

मृत्युंजय विश्वकर्मा

©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri" हाल #bestshayari #bestgazals #mjaivishwa #woldsbestshyari

#intimacy
कहें क्या की अब मिरा हाल  कैसा है।
आप  ही कहो अब  ये सवाल कैसा है।

आपकी ही आब -ओ- हवा में हम भी है।
हाल जैसा है आपका हां मेरा भी वैसा है।

इश्क़-ओ-वफ़ा लत सी होती है शायद।
तासिर-ओ-तलब इसका नशा जैसा है।

अब चलन में उसकी ही हुक़ूमत है यारो 
हां वो जिसके जेब में बे - शुमार पैसा है।

देखान कभी उसके निगाहों में उतर के।
फ़िर बतलाना क्या कोई रिंद जय सा है।

मृत्युंजय विश्वकर्मा

©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri" हाल #bestshayari #bestgazals #mjaivishwa #woldsbestshyari

#intimacy