बेहतर होगा अब यें मेरे लिये, तु मुझमें से निकल जा मेरी जान,मेरी जां में अटकी है,ज़ब कोई वास्ता नहीं है..! सफ़र अंतिम वक़्त तक तय किया था तुम्हारे साथ का देख तु बदल गयीं है, अब आगे का कोई रास्ता नहीं है..! तुम्हारी किसी भी बात से गुरेज़ नहीं मुझे, तु जानती है ज़िन्दगी शर्तो पर नहीं चलती,तु मुझसे वाबस्ता नहीं है..! सफ़र का आगाज़ तुमसे था मेरा,अंतिम पड़ाव मौत था कैसे कहूँ सफ़र का राही बिछड़ गया,उससे वास्ता नहीं है..! ज़िन्दगी के कितने हसीन सब्ज़बाग दिखाये तूने,याद है नहीं समझ सका ख़ुद ही मकबूल को,तु वाबस्ता नहीं है..! क्या चलूँगा अब साथ तुम्हारे, मुझे ख़ुद यें पता नहीं है मंज़िल धुंधलीं पड़ गयीं मेरी,आगे का कोई रास्ता नहीं है..!! ©Shreyansh Gaurav #GzlWrites #Thinking खूबसूरत दो लाइन शायरी शायरी शायरी दर्द 'दर्द भरी शायरी'