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किसी शायर ने ठीक ही लिखा है, * तुझसे नाराज नहीं ज

किसी शायर ने ठीक ही लिखा है,
* तुझसे नाराज नहीं  जिन्दगी परेशान हूं मैं, 
हो परेशान हूं मैं। 
तेरे मासूम सवालों  से हैरान हूं मैं, हैरान हूं मैं।*
  इस दुनियां में  इन्सान का ऐसे वक्त से पाला पड़ता है जब न इन्सान खुद को जिंदा समझता है न मरा। सब के
रहते अकेला सा महसूस करता है। अकेला अंदर ही अंदर लड़ता रहता है। कोई समझने वाला नहीं होता है।
दिल की बातें कहे तो कहे किससे। कहे उससे जो समझे
अकेली उदास जिन्दगी, सुनसान  रहें, न कोई सहारा,खुद
से ही कहना खुद को सुनना। फिर वो क्या करे जिंदगी से
परेशान न रहे तो।जिंदगी में जब उमंग तरंग न हो तो कैसी लगेगी जिंदगी। समय समय पर जिन्दगी भी गजब
रूप बदलती है,समझना मुश्किल है।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # तुझ से नाराज नहीं।