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जैसे जैसे चेहरों से मुखौटे उतरते गए, हम हैरान होते

जैसे जैसे चेहरों से मुखौटे
उतरते गए,
हम हैरान होते गए,
उन मुखौटे के पीछे
के चेहरों को देखकर
हम दर्द से रोते गए,
उन चेहरों को देखने की आदत नहीं थी,
पर अब उन्हें देखकर जख्म बनते गए,
झूठ बोलने की क्या जरूरत थी, सच को सामने ला देते, 
ये सब एक झूठ हैं, काश पहले ही तुम बता देते।

©Shweta Sharma
  kash💔💔

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