गीत :- नशा नाश करता है जीवन , समझो मेरे यार । मत कर इससे यारी भाई , करे बुरा व्यवहार । नशा नाश करता है जीवन.. देखो अपने इधर उधर तुम , इसका क्या परिणाम। दाने दाने को है तरसे , मिले नहीं आराम ।। दिन जीवन के चार मिले है ,बाटों सबमें प्यार । नशा नाश करता है जीवन.... गली-गली इसके सौदागर , करते नित व्यापार । लेकर जीवन मौत दे रहे , दिए साथ सरकार ।। वैधानिक चेतावनी लिखो , हो हासिल अधिकार । नशा नाश करता है जीवन.... अखबारों और दूरदर्शन , पर हो खूब प्रचार । अश्लीले तस्वीरे मिलकर , करे धर्म संहार ।। नहीं पूछता कोई इनसे , निभाएं शिष्टाचार । नशा नाश करता है जीवन.... डूब रहा है धर्म-कर्म अब , मुश्किल में संसार । पीकर मदिरा बाला नाचें ,पिता हुए लाचार । आज कहूँगा मैं भी खुलकर, आओ थानेदार । नशा नाश करता है जीवन.... लूट मची है निर्धन के घर , कहते हैं व्यापार । बनकर शुभचिंतक है आये , चोरो के सरदार ।। किसे आज अब हम समझाये , हम भी है आधार । नशा नाश करता है जीवन .... नशा नाश करता है जीवन , समझो मेरे यार । मत कर इससे यारी भाई , करे बुरा व्यवहार ।। १८/०४/२०२३ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- नशा नाश करता है जीवन , समझो मेरे यार । मत कर इससे यारी भाई , करे बुरा व्यवहार । नशा नाश करता है जीवन.. देखो अपने इधर उधर तुम , इसका क्या परिणाम। दाने दाने को है तरसे , मिले नहीं आराम ।।