देश हूं, मैं देश हूं, मैं देश हूं, मैं गगन के नाम इक संदेश हूं, मेरी सांसों में कई तूफ़ान हैं एक हूं मैं पर कई उन्वान हैं, मेरी मिट्टी में दबे जवान हैं अश्रुपूरित किंतु अग्निवेश हूं, देश हूं मैं............. है मेरे सिर पर रंगीली टोपियां और अधरों पर हज़ारों बोलियां, लहलहाते हैं खेतों में बालियां संस्कृतियों का धवल परिवेश हूं, देश हूं मैं............... अगला भाग देखिए अगले संस्करण में।। देश हूं मैं