दिल के किसी कोने में वो कमब्खत एक आईना छूपा रहता है मैं रहूँ किसी भी हालत ए मौसम में वो बस उसका ही चेहरा दिखाता रहता है और जब भी मैं कभी बहक जाता हूं ना इन बिखरी फ़िज़ाओं की ख़ुश्बू में वो आईना खुद को तोड़ कर मुझे होश में ले आया करता है वो मुझे याद दिलाता रहता है कि मैं अमानत हूँ किसी और का, मुझे ज़रूरत नही किस और के शहरो सुबह शाम का और ...मेरी मोहब्बत की इबादत की हद तो देखो ,आईना मेरे दिल का और वफादार मेरे यार का औऱ बात तब की है जब रुखसत हुआ था जो कुछ पल के लिए अपने हमसफर से उस लम्हे में वो जाते वक्त अपना एक अक्श छोड़ गये मेरे दिल में छुपे आईने की कैद में, ये फ़क़त एक आईना नही वो तो रहमत है उसकी खुदाई का अक्सर दूर हो कर भी गम नही होता न जाने क्यूं उसकी जुदाई का ✍️By Me आईना मेरे दिल का...