ज़ब मिट चुका होगा मेरा वज़ूद हवाओं मे भटकती दिखेगी तब मेरी आवाज़ की गूँज जिसे सुन क़र नम होंगी कुछ आँखे और कुछ को सुनाई पड़ेंगी मेरी आहें ये भी हो सकता है कुछ को सुनाई नहीं पड़ेगी और कुछ उन्हें सुन क़र अनसुनी भी क़र देंगे या गुजर जाने देंगे अपने ऊपर से मुफ्त मे अन्यथा वे भटकती रहेंगी ब्रह्माण्ड क़े असीम घेरे मे युगो युगो तक ©Parasram Arora मेरी आवाजे.....