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#मै तो हर नारी में समाई हूं। फिर घर की नारी को अब


#मै तो हर नारी में समाई हूं। फिर घर की नारी को अबला समझा।
कहीं मै #दुर्गा तो कहीं काली हूं। फिर नारी को सबला न समझा।
#नवरात्रि में मै कन्या रूप में पुजी जाऊं। गली नुक्कड़ ढूंढने निकले।
फिर ओर दिन क्यों मुझ पर #कुदृष्टि होती है। जरा दया दृष्टि क्यों न दिखाते हैं।
क्या नवरात्री के अलावा#कन्या देवी नहीं होती। और बाला मै घर की बेटी न समझा।
 बुरी दृष्टि डालने वाले भीं कंजक ढूंढे नोरातो में। उनके पैर पूजना पुण्य समझा।
घर में भूखी पड़ी है बूढ़ी माई, और मुझे छप्पन भोग लगाते। क्या मुझे अनाड़ी समझा।
मां मां कहकर पुकारने वाले घर में मां मे #मै नज़र न आई
जब जब मीठा भजन कीर्तन करके मुझे सुनाते हैं।
घर में मां बहन बेटी पत्नी से कड़वा घुट पिलाए, उनका कभी मन न समझा।
मै तो भाव की भूखी हूं संतान #सुखी हों बस इस कारण हर दुकान पर दिखती हूं।
कोई भूखा न रहे, प्यार सम्मान और त्याग करना सिखाया है।
हर मानव को मानव को स्नेह से रहना सिखाया है। हर किसी मदद करना सिखाया।
मर्यादा का पाठ सिखाया, क्या मुझे खुद मर्यादा में नहीं रहते देखा।
हर हाल मे मुझे बांधा है, पर कभी गहनों से तो कभी शस्त्रों से पर बंधी हुई तो भक्तो के प्रेम से।
मां का प्यार इतना हैं, उस संतान के लिए लड़ी, पर दुष्टों के लिए पहले शास्त्र है, और बाद में शस्त्र हैं।

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
   #कैप्शन में पढ़े
मै तो हर नारी में समाई हूं
मै ही दुर्गा मै ही काली माई हूं
#dhoop  #soch
#मै तो हर नारी में समाई हूं। फिर घर की नारी को अबला समझा।
कहीं मै #दुर्गा तो कहीं काली हूं। फिर नारी को सबला न समझा।
#नवरात्रि में मै कन्या रूप में पुजी जाऊं। गली नुक्कड़ ढूंढने निकले।
फिर ओर दिन क्यों मुझ पर #कुदृष्टि होती है। जरा दया दृष्टि क्यों न दिखाते हैं।

#कैप्शन में पढ़े मै तो हर नारी में समाई हूं मै ही दुर्गा मै ही काली माई हूं #dhoop #Soch #मै तो हर नारी में समाई हूं। फिर घर की नारी को अबला समझा। कहीं मै #दुर्गा तो कहीं काली हूं। फिर नारी को सबला न समझा। #नवरात्रि में मै कन्या रूप में पुजी जाऊं। गली नुक्कड़ ढूंढने निकले। फिर ओर दिन क्यों मुझ पर #कुदृष्टि होती है। जरा दया दृष्टि क्यों न दिखाते हैं। #Motivational #सुखी

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