गजब की बात है उसे मिलना है रोज मुझसे पर बात नहीं करनी देखना है रोज मुझे पर मुलाकात नहीं करनी जिंदा हूं मैं उसमें आज भी शौक की तरह वो नादानियों में मान बैठा मुझे रोग की तरह मन के खोल किवाड़ किश्त मुलाकात की बाकी है तेरे मर्ज के हिसाब से तो अभी बहुत बात बाकी है बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla KK क्षत्राणी Dr. uvsays