किसी की जींदगी महलों मे तो किसी की फुटपाथ पे गुजरती है, अजीब है ये वक्त की अदा भी हर किसी से दिल्लगी करती है, महज इतनी सी ही ख्वाहिश तो उस गरीब की भी नही होगी, जिसकी सांसे आज खुशियों के लिए गुब्बारों मैं बिकती है... -- मंगेश काणकोणकर. #thaughts