बैरवे छन्द :- १२,७ पर यति जग में प्रभु का ही है, सुंदर नाम । करते हैं हम सब ही, नित्य प्रणाम ।। प्रेम अटल है प्रभु का, जन-जन हेतु । छुपा नहीं रहस्य अब , कहता सेतु ।। चलें भक्त रघुनंदन के, अब दरबार । माता सीता देंगी, अब उपहार ।। करो कृपा भक्तों पर , हे रघुनाथ । बैठे हैं हम सारे , है नत माथ ।। दसों दिशाओं में है , ये गुणगान । सुन अवध विराजेंगे , अब भगवान ।। भक्त सभी जपते हैं ,जय सिय-राम । होगी प्राण प्रतिष्ठा , रघुवर धाम ।। १७/०१/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बैरवे छन्द :- १२,७ पर यति जग में प्रभु का ही है, सुंदर नाम । करते हैं हम सब ही, नित्य प्रणाम ।। प्रेम अटल है प्रभु का, जन-जन हेतु ।