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जगमग-जगमग दीप हैं जलते दूर अमावस का अंधकार हुआ, जब

जगमग-जगमग दीप हैं जलते
दूर अमावस का अंधकार हुआ,
जब याद पिता की आई तो
फिर सब कुछ ही बेकार हुआ,
चौदह वर्ष पूर्व के दृश्य
जैसे ही सामने आते हैं,
राजीवलोचन के नयनों से
अश्रु बहते जाते हैं।
आप सभी दोस्तों को हमारी ओर से दीवाली की ढेर सारी शुभकामनाएं।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🏼🙏🏼🙏🏼

©प्रभाकर अजय शिवा सेन
  जगमग-जगमग डीप हैं जलते।

जगमग-जगमग डीप हैं जलते। #Poetry

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