White ना गर्मी हम पर हंसती, ना पसीने से हम रोते | आज ऐसी समस्या ना होती, काश पर लगाए होते, सूर्य की ताप से आज | यह धरती ना तपती , काश पेड़ लगाए होते | बद से बत्तर हो रही है, गर्मी को अब कौन रोके | काश हम पेड़ लगाए होते, फल है यह इंसान की ही करनी का | वही काटते हैं जो हम बोते हैं, काश पेड़ लगाए होते | तापमान इतना ना बढ़ता, ठंडक को हम यूं ना खोते | काश पेड़ लगाए होते हैं, धरती की धरोहर है हरियाली | हर हाल में उसे संजोगते, काश पेड़ लगाए होते | सृष्टि सिंह ✍️ ©Bindass writer #बढ़ती गर्मी