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*मैं शहर का प्रसिद्ध पुराना चौराहा हूं* आज खड़ा

*मैं शहर का प्रसिद्ध पुराना चौराहा हूं* 
आज खड़ा  विवस , लाचार कराहा हूं।
ज़िन्दा शहर में  एकमात्र वाशिंदा हूं।
पत्ते में बन्धे पान और कुल्हड़ की चाय का चौपाल हूं।
सुबह-शाम स्कूली बच्चों का शिक्षक और अभिभावक हूं।
आए- गये ,छुटे भटके यात्रियों का विश्वसनीय पता हूं।
बेकार , साहुकार , जेबकतरों और वेश्याओं  का रोजगार हूं ।
फलो-सब्जियों,गरम जिलेबियो , पानी- पुरी और फूलों का व्यापार हूं।
मजदूरों, मछुआरों, वेघर श्वानो  का एकमेव घरौंदा हूं।
मन्दिरों की दीवार, गिरजाघरों की छत और मस्जिदो का अज़ान हूं।

 **मैं शहर का प्रसिद्ध पुराना चौराहा हूं** पुराना चौराहा
*मैं शहर का प्रसिद्ध पुराना चौराहा हूं* 
आज खड़ा  विवस , लाचार कराहा हूं।
ज़िन्दा शहर में  एकमात्र वाशिंदा हूं।
पत्ते में बन्धे पान और कुल्हड़ की चाय का चौपाल हूं।
सुबह-शाम स्कूली बच्चों का शिक्षक और अभिभावक हूं।
आए- गये ,छुटे भटके यात्रियों का विश्वसनीय पता हूं।
बेकार , साहुकार , जेबकतरों और वेश्याओं  का रोजगार हूं ।
फलो-सब्जियों,गरम जिलेबियो , पानी- पुरी और फूलों का व्यापार हूं।
मजदूरों, मछुआरों, वेघर श्वानो  का एकमेव घरौंदा हूं।
मन्दिरों की दीवार, गिरजाघरों की छत और मस्जिदो का अज़ान हूं।

 **मैं शहर का प्रसिद्ध पुराना चौराहा हूं** पुराना चौराहा

पुराना चौराहा #कविता