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नारी का मातृत्व है यह" *************** अभिशाप नहीं

नारी का मातृत्व है यह"
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अभिशाप नहीं बरदान है यह,,
अपवित्र नही पवित्र है यह,,
गंदगी नही हमारा रक्त है यह,,
नारी का मातृत्व है यह,,
क्यूं वर्जित है मन्दिर मे जाना??
क्यू वर्जित है तुझे स्पर्श करना??
क्यू समाज मे ऐसा नियम बना??
क्यू नारी को कष्ट पड़ा सहना??
क्या इस बहती वायु ने मुझे स्पर्श कर मन्दिर और मूरत को स्पर्श नही किया??
क्या हमारी नासिका ने निकली वायु(CO2) के एक भी कण से तुलसी के वृक्ष ने प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा अपना भोजन नही बनाया होगा??
क्या हमारा स्पर्श किया जल पवित्र नदियो मे नही मिला??
क्या इस ब्रह्मांड की अनंत तरंगो ने मेरे बाद तुझे स्पर्श नही किया??
हमारी अंतरात्मा मे विराजमान ईश्वर ने तो मुझे प्रतिपल ,प्रतिक्षण स्पर्श किया,, फिर ये ढोंग क्यू??
क्या ईश्वर की सीमाएं सिर्फ मन्दिर तक है??
क्या ईश्वर कण कण में नही है??
जागो! और सोचो!   क्यू??????
हे ईश्वर! जब अद्रश्य रुप मे मैने तुझे स्पर्श किया तो द्रश्य रुप मे  स्पर्श वर्जित क्यू???

©यशस्वी तिवारी
  #menstruation