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ज़िंदगी के उलझनों में बीत रही है ये उम्र सारी, फ़ुर्

ज़िंदगी के उलझनों में
बीत रही है ये उम्र सारी,
फ़ुर्सत के पल तलाशने में
छूट रही हौले हौले पतंग की डोर,
मुश्कुरा ले तू इस पल को
की कशमकश से भरी हवा भी,
कल कुछ भारी सा है,
हौले से तू आज मुश्कुरा ले.

©Avinash Jha मांझा

#dryleaf
ज़िंदगी के उलझनों में
बीत रही है ये उम्र सारी,
फ़ुर्सत के पल तलाशने में
छूट रही हौले हौले पतंग की डोर,
मुश्कुरा ले तू इस पल को
की कशमकश से भरी हवा भी,
कल कुछ भारी सा है,
हौले से तू आज मुश्कुरा ले.

©Avinash Jha मांझा

#dryleaf
avinashjha8117

Avinash Jha

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