ज़िंदगी के उलझनों में बीत रही है ये उम्र सारी, फ़ुर्सत के पल तलाशने में छूट रही हौले हौले पतंग की डोर, मुश्कुरा ले तू इस पल को की कशमकश से भरी हवा भी, कल कुछ भारी सा है, हौले से तू आज मुश्कुरा ले. ©Avinash Jha मांझा #dryleaf