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हर कदम पर.... तुम्हारा साथ दूं, अब ऐसा हो नहीं सकत

हर कदम पर.... तुम्हारा साथ दूं, अब ऐसा हो नहीं सकता।
 कि बांधा दिया है मुझको कुछ,, मर्यादाओं में, तुमने और 
 इस समाज ने,,,2
मैं नदी थी, मुझ पर मर्यादा का बांध बना,
ख़त्म कर दिया मेरी आज़ादी को, मेरे प्यार और व्यवहार को।
कई*कई बार,मैंने यत्न किये तोड़ दूं इन बंधनों को,,
पर हर बार एक नया बांध,बंधने लगा।
हर कदम पर.... तुम्हारा साथ दूं, अब ऐसा हो नहीं सकता।
था भरोसा ख़ुद पर,, मैं जननी थी, सृजन करता हूं,,,
 वंश बेल की, सिंचित करती निज लहू से उसे,
संवार आदर्शों से उसे, सभ्य समाज जनक बनाती,,,,
किन्तु,,बांध मुझे आधुनिकता के पांश में,
मेरे सपनों की दुनिया ज़ला दी🔥।
हर कदम पर... तुम्हारा साथ दूं,अब ऐसा हो नहीं सकता।
अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻

©Ashutosh Mishra हर कदम पर....#Kadam#NojotoWritingPrompt,, NojotoHindi NojotoEnglish NojotoNews Nojotopoetry , ANOOP PANDEY Surjit \"Sabir\" Satyajeet Roy Internet Jockey Sethi Ji   Sethi Ji