खुदा को मैंने कभी भी ह्रदय की हॉट सीट पर नहीं बिठाया है ...क्यों कि उससे भी कई अज़ीज़ चीजे है इस सहजीवी जगत में ......मसलन सूरज चाँद. तारे और ये नीला नभ है ......या फिर समुन्द्र का नीला शीतल. जल है जो अनंत तक फैला है ......फिर ये मखमली रेत है जो उच्छृंखल लहरों का क्रीड़ास्थल है ....इनसे प्रे फिर सौहर्द्पूर्ण महकते हुए रिश्ते और माधुर्य मिश्रित मित्रताए है ...फिर एक प्रेम आवास है जिसमे फ़रिश्तो का वास है ........इसके अलावा जीवन में कल्पनाये स्वप्न और और अमर. ख्वाहिशो का मेरे पास सम्राज्य है ........ हॉट सीट पर खुदा