चिरागों को आंखों में महफूज़ रखना बड़ी दूर तक रात ही रात होगी मुसाफिर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी #bashir_badra #shayari #poem