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rohitbarnawal6538
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Rohit Barnawal

इसीलिये जमाने में अजनबी हूँ मैं, कि सारे लोग फरिश्ते हैं और आदमी हूँ मैं।।

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Rohit Barnawal

अपने साये को इतना समझा दे
मुझे मेरे हिस्से की धूप आने दे

एक् नज़र में कई ज़माने देखे तू
बूढ़ी आंखो की तस्वीर बनाने दे

बाबा दुनिया जीत के मैं दिखा दूँगा
अपनी नज़र से दूर तो मुझ को जाने दे

मैं भी तो इस बाग़ का एक् परिंदा हूं
मेरी ही आवाज़ मैं मुझ को गाने दे

फिर तो ये उँचा ही होता जायेगा
बचपन के हाथो में चाँद आ जाने दे

हाँ हाँ बाबा, तू मुझे खुद को आजमाने दे,
तू मुझे खुद को आजमाने दे... #FathersDay
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Rohit Barnawal

एक पहाडे सा मेरी उँगलियों पे ठहरा है
तेरी चुप्पी का सबब क्या है? इसे हल कर दे

ये फ़क़त लफ्ज़ हैं तो रोक दे रस्ता इन का
और है अगर जज़्बात तो फिर बात मुकम्मल कर दे #CalmingNature
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Rohit Barnawal

terā chehra kitnā suhānā lagtā hai 

tere aage chāñd purānā lagtā hai #moonlight
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Rohit Barnawal

अभी इस तरफ़ न निगाह कर मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ
मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना तुझे आईने में उतार लूँ

मैं तमाम दिन का थका हुआ, तू तमाम शब का जगा हुआ
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर, तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ

अगर आसमाँ की नुमाइशों में मुझे भी रुकने की इज़ाज़त हो
तो मैं मोतियों की दुकान से तेरी बालियाँ तेरे हार लूँ

कई अजनबी तेरी राह के मेरे पास से यूँ गुज़र गये
जिन्हें देख कर ये तड़प हुई तेरा नाम लेके पुकार लूँ

अभी इस तरफ़ न निगाह कर मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ
मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना तुझे आईने में उतार लूँ

-Rohit Barnawal #poem #shayari
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Rohit Barnawal

चिरागों को आंखों में महफूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी


मुसाफिर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी #bashir_badra #shayari #poem
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Rohit Barnawal

जो अपने चेहरे से ज़ाहिर है उसे छुपाएँ कैसे,

तू हीं बता तेरी मर्जी के मुताबिक़ नजर आएं कैसे।। #शायरी
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Rohit Barnawal

नाकाम थीं मेरी सब कोशिशें उस को मनाने की ,

पता नहीं कहाँ से सीखीं जालिम ने अदाएं रूठ जाने की #उसका_रूठना #शायरी

उसका_रूठना शायरी

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Rohit Barnawal

कोई खामोश है इतना   बहाने भूल आया हु,
किसी की इक तरन्नुम में तराने भूल आया हु।
मेरी राह मत तकना ऐ आस्माँ वालो
 मैं इक चिड़िया की आंखों में उड़ाने भूल आया हु।। #उसकी_खामोशी #poem
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Rohit Barnawal

ख़्वाबों में जागे जागे अक्सर होती है तुझसे बात।

डूबते जाते हैं तारे, भींगती जाती है रात।।

- रोहित बर्नवाल #शायरी
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Rohit Barnawal

Alone     अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें,
हम कदमों में उनके जिंदगी को लूटा दें।

हर एक मोड़ पर खुशियाँ सज़ा दें,
चलो जिंदगी को मुहब्बत बना दें।

खुद को भूले तो कुछ भी न भूले,
कि चाहत में उनके खुदा को भुला दें।

कभी ग़म की आँधी जिन्हें छू न पाये,
वफाओं के हम वो नसीमा बना दें।

कयामत के दीवाने कहते हैं हम से,
चलो उनके चेहरे से पर्दा हटा दें।

सज़ा दें सिला दें बना दें मिटा दें
मगर वो कोई फैसला तो सूना दें...
मगर वो कोई फैसला तो सूना दें...

:रोहित बर्नवाल #poem #shayari #muhabbat #wo
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