ॲंधेरे से गुज़र जाना, ॲंधेरे में रहना नहीं। किसी के दुःख में रो लेना पर उसे रुलाना नहीं। दूसरों के घरों को रौशन करना सीख ले, चिराग़ घर में जलाना, घर को जलाना नहीं। ज़िन्दगी में हार और जीत का फ़र्क जान ले, किसी को मिटाकर कभी ख़ुद को जिताना नहीं। इश्क़ होता है जब ख़ुदा की रहमत होती है, मोहब्बत को हुज़ूर, कभी आज़माना नहीं। तू ज़माने में चाहे कितने भी किरदार बदल, अपना अक्स कभी आईने से छिपाना नहीं। ये ज़रूरी नहीं तू हमेशा पाक साफ़ ही हो, गलती कर सकता है, गुनाह दोहराना नहीं। संजीव सिंह ✍️ #jazba #sanjeevsingh #CityEvening