आओ आओ जल्दी से आओ सुनाए तुम्हें ,,,,एक किस्सा पुराना घङियां बदली ,,,दिन बदला, बदली रात कि ठंडक,,, पर नहीं है बदला जीवन जिनका। कल भी थे वो जिम्मेदारियों से घीरे आज भी है वे दबे बोझ तले। कहते हैं कि रोने से होता है मन हल्का,, फिर क्यो इनका रोना कर देता , खङा सवाल एक नया!! बचपन से ही भरी गई एक बात कानो में उनकी कि हो अगर दर्द तो,रखो उसको मन तक मत भरना आंखों में पानी।। वरना कायर समझेगा ये ज़माना तुम्हें पर है तो वो हाङ - मांस से बना शरीर चाहिए जिन्हें पिता की कङक धुप मां के आंचल की ठंडी छांव और प्रेम परिवार का भरपूर।। हां, हां वे लङके है जिन्हें भी हक़ है खोलकर रोने और हक से प्रेम पाने का भरपूर। #Boys life# emotion for a soldier brother # from his sister